शब्द

 हमारे द्वारा बोले गए शब्द ही हमारे व्यक्तित्व का निर्धारण करते हैं इसलिए हमें शब्दों का चयन बहुत सोच समझ कर करना चाहिए।

 शब्द है दर्पण अंतर्मन की सच्ची छवि दिखाते हैं।                     शब्द ही हमको ऊंचा उठाते, शब्द ही नीचे गिराते हैं।।

 शब्द ही होते खंजर जैसे, मन को घायल करते हैं।                     शब्द ही होते मरहम जैसे, सब जख्मों को भरते हैं।। 

 शब्द आग का दरिया बनकर, पल में आग लगाते हैं।                 शब्द भाव का जरिया बनकर, सारे गिले मिटाते हैं।। 

  शब्दों की ही चोट थी जो, कालिदास ने खाई थी।                   "अंधे का बेटा अंधा" शब्दों ने, महाभारत करवाई थी।। 

 शब्द अगर छू जाए दिल से, दास्तान बन जाते हैं।                       शब्द ही हमको ऊंचा उठाते, शब्द ही नीचे गिराते हैं।।

                                                         - दिनेश





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