सावन

सावन का एक रंग ये भी होता है -


गम  की  अश्कों से कुछ यूं मुलाकात होती  है।
खुल  के  रोता है  बादल  तो बरसात  होती है।

जख्मों की तरह  रिसती  है कच्चे घरों की छतें।
गरीबी  से  भरे  जीवन में  ऐसी भी रात होती है।

तूफां का क्या, वो तो झोंपड़ी उड़ा कर चल दिया।
रोना तो उसका है जिसके साथ ये वारदात होती है।

पकवान किसे कहते  हैं  इसका तो इल्म ना था उसे।
भूखे  के  लिए  तो  सूखी रोटी भी सौगात होती है।

पेट की आग बारिश की बूंदों से नही बुझती दिनेश।
ये वो वबा है जिसे  बुझाने  में  मुश्किलात  होती है।
                                                         
                                                         -- दिनेश

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