पिता
दुनिया के सभी पिताओं को समर्पित चंद पंक्तियाँ बच्चों के सपनो की गढ़री को, जो अपने संघर्षों से ढोता है । वो पिता ही तो होता है ।। जिस्म जलाती कड़ी धूप हो या काली ठंडी रातें हों । लू के गर्म थपेड़े हो या दिल दहलाती बरसातें हो ।। सब बाधाओं से लड़कर, जो रोज कमाने जाता है । अपने सुख की कीमत देकर, बच्चों की खुशियाँ लाता है ।। बच्चों को देकर नरम बिछोना, खुद काँटों पर सोता है । वो पिता ही तो होता है ।। -- दिनेश