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Showing posts from July, 2020

पिता

दुनिया के सभी पिताओं को समर्पित चंद पंक्तियाँ बच्चों के सपनो की गढ़री को,  जो अपने संघर्षों से ढोता है । वो पिता ही तो होता है ।। जिस्म जलाती कड़ी धूप हो या  काली ठंडी रातें हों । लू के गर्म थपेड़े हो या  दिल दहलाती बरसातें हो ।। सब बाधाओं से लड़कर,  जो रोज कमाने जाता है । अपने सुख की कीमत देकर,  बच्चों की खुशियाँ लाता है ।। बच्चों को देकर नरम बिछोना,  खुद काँटों पर सोता है । वो पिता ही तो होता है ।।                                      -- दिनेश

जिंदगी की हकीकत

जिंदगी की हकीकत से रूबरू एक ग़ज़ल के चंद शेर इस तरह जिंदगी का सफर कर रहा है आदमी , जिंदा रहने की चाहत में रोज मर रहा है आदमी । हर सुबह समेटता है खुद के टूटे टुकडों को , हर शाम फिर से टूट कर बिखर रहा है आदमी । सुकून को गवां बैठा है  सुकून की ही तलाश में, जूनून के ये किस दौर से गुजर रहा है आदमी । ख्वाहिशों का पहाड़ खड़ा कर के अपने इर्द-गिर्द, उस पर बैसाखियों के सहारे चढ़ रहा है आदमी । तरक्की की ऊंचाइयों ने रिश्तो को बौना कर दिया, काबिलियत के ये कैसे कसीदे गढ़ रहा है आदमी । जिंदगी का मतलब तो बस सांसे लेना ही रह गया, हर वक्त, हर लम्हे अब यही तो कर रहा है आदमी ।                                                -- दिनेश